Senior Congress leader Janardan Dwivedi wants end to reservationon caste reservation

नई दिल्ली एक तरफ कांग्रेस अपनी मैनिफेस्टो में प्राइवेट सेक्टर में कोटा की बात शामिल कर 2014 के चुनावों में मास्टर स्ट्रोक लगाना चाहती है, तो दूसरी तरफ उसके नेता वर्तमान में चल रही जातिगत रिजर्वेशन के विरोध में बोल रहे हैं। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के करीबी और कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने जाति के आधार पर रिजर्वेशन को समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने राहुल गांधी से सभी समुदायों को इसके दायरे में लाते हुए आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए कोटा लागू करने का अनुरोध किया है।

जनार्दन द्विवेदी की जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करने की वकालत ऐसे समय में सामने आई है जब कांग्रेस अल्पसंख्यकों को रिजर्वेशन देने पर जोर दे रही है, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए प्रमोशन में रिजर्वेशन का समर्थन कर रही है और जाटों के लिए आरक्षण के पक्ष में दिख रही है। कांग्रेस महासचिव द्विवेदी ने कहा, ‘यह (जाति के आधार पर आरक्षण) समाप्त हो जाना चाहिए था। यह अब तक क्यों नहीं हुआ, क्योंकि निहित स्वार्थी तत्व प्रकिया में आ गए। क्या दलितों और पिछडों में सभी को आरक्षण का लाभ मिलता है? यह सब ऊपर वालों को मिलता है।’ उन्होंने जोर देकर कहा, सामाजिक न्याय और जातिवाद में अंतर है।

कांग्रेस पार्टी महासचिव ने कहा, ‘समाजिक न्याय की अवधारणा अब जातिवाद में बदल गई है…मैं मानता हूं इसको तोड़ने की जरूरत है।’ उन्होंने आगे कहा, चूंकि राहुल गांधी पार्टी घोषणा-पत्र के लिए जनता से सीधी राय ले रहे हैं, मैं भी इसका लाभ उठाते हुए उनसे अनुरोध कर रहा हूं कि उन्हें एक बड़ा फैसला करना चाहिए।’ द्विवेदी ने कहा, ‘लोगों के आर्थिक आधार पर आरक्षण के बारे में बात की जाए। वह (राहुल) कांग्रेस के भविष्य के नेता हैं। भविष्य में देश का नेता वही होगा जो जात-पात के कटघरे को तोड़ेगा, क्योंकि तब ही समानता के आधार पर समाज का निर्माण हो सकेगा।’

जाति आधारित रिजर्वेशन को समाप्त करने के अपने तर्क को उचित ठहराते हुए द्विवेदी ने कहा कि स्थिति पहले से बदली है और अब किसी में यह नैतिक साहस नहीं जो यह कह सके कि वह जात-पात का समर्थक है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि वह साठ के दशक में जिस युवा आंदोलन के माध्यम से राजनीति में आए थे उसका मुख्य आधार जात-पात के बंधन को तोड़ना और जात-पात विहीन समाज का निर्माण करना था। यह पूछे जाने पर कि क्या आरक्षण बना रहना चाहिए जैसा कि यह अभी है, जबकि जब यह लागू किया गया तो इसका मकसद अस्थाई था। द्विवेदी ने कहा कि यह बहुत ही कठिन और संवेदनशील प्रश्न है।

गौरतलब है कि इस कांग्रेस नेता ने हाल में कहा था कि 206 सीटें पाने के बावजूद उनकी पार्टी को 2009 में गठबंधन सरकार नहीं बनानी चाहिए थी, क्योंकि उसने अकेले कांग्रेस सरकार के लिए जनादेश मांगा था।

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