जाति के आरक्षण का महायुद्ध – जल रहा है भारत – देखें

caste-reservation-in-india

Caste Reservation battel in india–

भारत में समय समय पर अलग – अलग राज्यों में विशेष आरक्षण के लिए आंदोलन होते आ रहे है। इन आंदोलनों की  सूची पर अगर नजर डालें तो राजस्थान में गुजर्र (Rajasthan Gujar Aandolan), हरियाणा में जाट (Hariyana jaat Aandolan ) और अब हाल ही में गुजरात में पाटीदारों (पटेल )(Gujrat Patel Aandolan ) ने आरक्षण को मांग उठाई है।
                                                         

Gujrat Patel Aandolan

patel andolan gujraat

असल में भारत में आजादी से पहले ही प्रेसिडेंसी (PRESIDENCY) और रियासतों के एक बड़े हिस्से में पिछड़े वर्गों (बीसी )के लिए आरक्षण की शुरुआत हुई थी दलित वर्गों के हित को ध्यान में रखते हुए सन

1901 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में छत्रपति साहूजी द्धारा भारत में आरक्षण उपलब्ध करने वाला पहला आदेश जारी किया गया। छत्रपति साहूजी महाराज द्धारा प्रस्तुत इस आदेश का उद्देश्य पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने तथा राज्य प्रशासन में उन्हें उनकी हिस्सेदारी दिलाना था।

भारतीय इतिहास में आजादी से जुड़े पहले के मुख्य बिन्दुओं की बात करे तो आरक्षण की शुरुआत सन 1908  में अंग्रेजों ने प्रशासन में हिस्सेदारी के लिए आरक्षण शुरू किया था।

1921 में मद्रास प्रेसिडेंसी (Madras Presidency) ने सरकारी आदेश जारी किया जिसमे गैर ब्राह्मण के लिए 44 फीसदी मुस्लिम ,भारतीयएंग्लो / ईसाईयों के लिए 16 -16 फीसदी और अनुसूचित जातियों के लिए 8 फीसदी आरक्षण (Reservation) दिया गया था।

1931 में लन्दन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मलेन(SECOND ROUND TABLE) में अंबेडकर ने अनुसूचित जातियों हेतु पृथक निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई।

1921 में मद्रास प्रेसिडेंसी ने सरकारी आदेश जारी किया जिसमे गैर ब्राह्मण के लिए 44 फीसदी मुस्लिम ,भारतीयएंग्लो / ईसाईयों के लिए 16 -16 फीसदी और अनुसूचित जातियों के लिए 8 फीसदी आरक्षण दिया गया था।

1931 में लन्दन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मलेन में अंबेडकर ने अनुसूचित जातियों हेतु पृथक निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई।

1942 में बाबा साहेब अंबेडकर ने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई। जिससे गाँधी जी नाराज होकर वापस भारत आ गये थे।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सामाजिकऔर शैक्षिणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसके लिए किसी खास वर्ग को यह साबित करना होगा की वह अन्य वर्गों के मुकाबले सामाजिक और शैक्षिणिक रूप से पिछड़ा हुआ है । अगर भारत में आरक्षण देने के तरीके की बात करे तो राज्यों के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया है।

Rajasthan Gujar Aandolan

gujjar caste reservation

जिसका कार्य राज्यों के अलग -अलग तबकों की सामाजिक स्थिति को जानकारी रखना है। ओबीसी (OBC) कमीशन इसी आधार पर अपनी सिफारिश प्रस्तुत करेगा। अगर पूरे देश में आरक्षण की बात करें तो राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग अपनी सिफारिश देता है

1993 के मण्डल कमीशन (MANDAL COMMISSION)केस में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बैंच ने कहा था की जाती अपने आप में आरक्षण का आधार नहीं बन सकती ,उसमे दिखायी देना चाहिए की पूरी जाति सामाजिक व शैक्षणिक  रूप से बाकियों से पिछड़ी है

आरक्षण मॉडल के आधार पर पिछड़े वर्गों को तीन भागों में विभाजित किया गया है –

Caste reservation system in india – अनुसूचित जाति (SHEDULE CAST)(SC ) ,अनुसूचित जनजाति (SHEDULE TRIBE) (ST ) ,पिछड़ा वर्ग(OTHER BACKWARD CLASS) (OBC ) केन्द्र सरकार (Central Governmet) द्धारा दिया गया आरक्षण –

वर्ष 1963 में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreame Court) ने कहा था की आमतौर पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता क्योंकि एक तरफ हमें मेरिट का ख्याल रखना होगा तो दूसरी और हमें सामाजिक न्याय को भी ध्यान  में रखना होगा। अलग -अलग राज्यों में ऐसा देखा गया है की किसी समुदाय को राज्य में आरक्षण है तो किसी अन्य राज्य या केंद्र नहीं। मण्डल कमीशन में सुप्रीम कोर्ट द्धारा साफ -साफ कहा गया था की राज्यों में आरक्षण के लिए दो स्थितियां हो सकती है। आरक्षण की वर्तमान स्थिति को अगर बात करे तो महाराष्ट्र में शिक्षा तथा सरकारी नोकरियों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत और मुसलमानों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण दिया गया है। तमिलनाडु (TAMILNADU)में सबसे अधिक 69 फीसदी आरक्षण लागू किया है। इसके बाद महाराष्ट्र (MAHARASTRA)में 52 फीसदी और मध्यप्रदेश (MADHYAPRADESH) में कुल 60 फीसदी आरक्षण लागू है।

 

 

Hariyana jaat -(jat) Aandola

 jaat andolan hariyana

 

देश के नागरिक हो या देश के राजनेता हम सभी को आरक्षण के रण से बहार निकलकर देश को प्रगति के पथ पर चलने का प्राण करना होगा। कोई व्यक्ति गरीब हो सकता है पर कोई भी जाति गरीब नहीं होती।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *