जाट आरक्षण मुद्दा बना फिर से केंद्र के लिए बना जी का जंजाल लगानी पड़ी CRPF

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हरियाणा सरकार के लिए जाट आरक्षण एक बार फिर से अराजकता  का  मुद्दा बन गया है। जाटों ने सरकार को एक बार फिर उग्र आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है।  हरियाणा में पिछले साल फरवरी में  जाट आंदोलन शुरू हुआ था जिसमे कई मासूमो के मौत का कलंक को हरियाणा सरकार  अपने माथे से पूरी तरह मिटा  भी नहीं पायी थी  की हरियाणा सरकार  के लिए जाटों  ने  आरक्षण को लेकर फिर से आंदोलन करने मुहीम शुरी कर दी है। हरियाणा सरकार  ने सभी प्रशासनिक अधिकारियो की छुट्टी रद्द कर दी है। हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार  से अर्धसैनिक बलों की  55 कम्पनीयो की सहायता मंगायी है । हरियाणा सरकार ने सभी आयुक्तों और उपायुक्तों को रिपोर्ट तलब करने का निर्देश दिया। हरियाणा सरकार ने जाट आंदोलन को लिए पूरी तरह कमर कस दी है राज्य सरकार ने इस बार  रेलवे लाइनों और और अन्य सार्वजनिक स्थलो में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम करे है सरकार ने कहा है इस बार किसी भी व्यवस्था को बिगङे नहीं दिया जायेगा हरियाणा के सभी संवेदनशील जिले में अर्धसैनिक बल व राज्य सरकार के जवानों का कड़ी सुरक्षा के लिए तैनात कर  दी है। सजग रहने को कहा है।

आरक्षण भारत के लिए पिछले कई सालो से विषम  मुद्दा बना हुआ है। सरकार कुछ सालो से जाट आरक्षण आंदोलन के लिए सतर्क हुई है। हम भारत के नागरिक है आरक्षण में हो रहे मुद्दे को आज एक राजनैतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। जाट आंदोलन ने पिछले वर्ष देश की आर्थिक पूंजी को विशेष रूप से भारी नुकसान पहुँचाया था जो देश की अर्थव्यवस्था व सामाजिक व्यवस्था के लिए एक अराजकता का माहौल बना। यह हमारी प्रशासन की जिम्मेदारी थी की वह किस तरह से इस आंदोलन को एक शन्तिपूर्ण ढंग से समाप्त करे परन्तु  केंद्रीय सरकार ने इस आंदोलन को प्राथमिकता से  नही लिया जिससे आज आरक्षण सभी संवेधानिक क्षेत्रों  वर्गों में अपनी जड़ें फैला चूका क्या प्रशासन आरक्षण के लिए हो रहे आंदोलन में हिंसात्मक गतिविधियों को रोकने के लिए सफल हो पायेगा भारत में आरक्षण  जाति के आधार पर देना सरकार लिए कितने मायने में सही है। क्या हम आज इक्कीसवी सदी में जाति के आधार पर आरक्षण देकर के अन्य समुदाय का शोषण नहीं कर रहे है। आज आरक्षण  ,शिक्षा नोकरी व्यापार व्यवस्था व  प्रतियोता परीक्षाओ ,में आरक्षण के आधार पर चुनाव किया जा रहा है। यह भारत में रह रही मध्य वर्ग के समुदाय के लिए एक शोषणता का प्रतिक बनता जा रहा है। संवेधानिक रूप से भारत के सामाजिक कल्याण व समानता की व्यवस्था की बात की गयी है लेकिन क्या आज भारत में आरक्षण ने इस समानता की व्यवस्था को झकजोड़ दिया है। हम अपने आने वाली पीढ़ी को एक आरक्षण युक्त देश   देंगे या अराजकता भरा देश  या एक सामान कल्याणकारी देश  जिसमे सभी को समानता  का अधिकार की व्यवस्था होगी। अगर आप देश में आरक्षण की प्रति अपने विचारों को प्रकट करना चाहते है  देश तक आरक्षण के विरोध में अपने सुझवों को देना चाहते हो देश में हो रही जाति आरक्षण आधार में बदलाव की मुहीम शुरू करना चाहते हो तो हमे अपने वोट के माध्यम हा और न में जवाब दे।  ……..    धन्यवाद

 

 

 

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